वातावरण में जहर मत घोलिये। सच को सच रहने दीजिए। वातावरण में जहर मत घोलिये। सच को सच रहने दीजिए।
मेरे मालिक शर्म यह लगती, मुझसे ही यह क्यों होता है। मेरे मालिक शर्म यह लगती, मुझसे ही यह क्यों होता है।
बुद्धि, विवेक पर डालकर प्रकाश हमें पाठको के समक्ष प्रस्तुत करती है। बुद्धि, विवेक पर डालकर प्रकाश हमें पाठको के समक्ष प्रस्तुत करती है।
दें रोजगार के अवसर, जो महंगाई को दें मात। दें रोजगार के अवसर, जो महंगाई को दें मात।
उसका ध्यान रखना कभी नहीं थी मेरी ड्यूटी , जाने कब और और कैसे बन गयी मेरी खूबी, उसका ध्यान रखना कभी नहीं थी मेरी ड्यूटी , जाने कब और और कैसे बन गयी म...
आम आदमी हूँ मैं, मेरे घर का पता ही मुझे मेरा पता लगता है घर का पता इतनी अच्छी तरह से याद है मुझे आम आदमी हूँ मैं, मेरे घर का पता ही मुझे मेरा पता लगता है घर का पता इतनी अच्छी ...